चल गई यह जिस पर काम का बन जाता वो कागज है चल गई यह जिस पर काम का बन जाता वो कागज है
न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही। न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही।
कल कल बहता जल भी नहीं कल कल बहता जल भी नहीं
इस तरह मेरी कविता पूरी हो गयी लेकिन लय बिगड़ गयी। इस तरह मेरी कविता पूरी हो गयी लेकिन लय बिगड़ गयी।
मन भी मेरा तब प्रसन्न हो जाता है जब कविता का आकार थम जाता है। मन भी मेरा तब प्रसन्न हो जाता है जब कविता का आकार थम जाता है।
भीतर के ज्वालामुखी को काग़ज़ पर ला देता है भीतर के ज्वालामुखी को काग़ज़ पर ला देता है